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परिचय भगवान शिव के व्रत और पूजा का महत्व
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का आयोजन हमारे सामाजिक और धार्मिक परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस विशेष दिन की पूजा से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
भगवान शिव: भोले भंडारी भगवान शिव के गुण और उनका भक्तों के प्रति प्रेम
भगवान शिव को ‘भोले भंडारी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वह अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु हैं और उनकी पूजा को सीधे मन से स्वीकार करते हैं। उनके गुणों में भक्तों के प्रति समर्पण और प्रेम की अद्भुत भावना होती है।
भगवान शिव की पूजा: सोमवार का विशेष महत्व शास्त्रों के अनुसार पूजा में उपयुक्त रंग और वस्त्र
सोमवार के दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में हरा, लाल, सफेद, केसरिया, पीला या आसमानी रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इन रंगों को धारण करना भी महत्वपूर्ण है ताकि शिव जी की पूजा सही रूप से हो।
सोमवार के दिन व्रत का तरीका फलाहारी व्रत और मीठे भोजन के उपाय
सोमवार के दिन व्रत रखने पर ध्यान रखें कि आप सिर्फ फलाहारी आहार लें या फिर मीठा भोजन करें। इस दिन केवल मीठी चीजों का सेवन करने से पूजा का महत्व बढ़ता है।
शिवजी की पूजा-अर्चना में सावधानियां रोली, हल्दी, और फूलों का ध्यानपूर्वक उपयोग
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शिवजी की पूजा में रोली, हल्दी या सिंदूर का तिलक नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें चंदन का तिलक लगाना उत्तम है। चावल (अक्षत) भी उन्हें अर्पित करें, लेकिन ध्यान रहे कि चावल का दाना टूटा नहीं होना चाहिए।
फूलों का अधिकतम उपयोग सफेद रंग के फूलों का महत्व और केतकी का फूल क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए
शिव जी को सफेद रंग के फूलों से बहुत पसंद है, और इन्हें पूजा में उपहार के रूप में चढ़ाना चाहिए। किंतु केतकी का फूल उन्हें प्रिय नहीं होता है, इसलिए उन्हें न चढ़ाना चाहिए।
पूजा के दौरान मंत्र जप महामृत्युंजय और नमः शिवाय मंत्र का महत्व
पूजन के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से शांति और सुख-समृद्धि होती है। इसके अलावा, नमः शिवाय मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
शिवजी की पूजा में ध्यान देने वाली बातें दूध, तिलक, और पूजा में सावधानियां
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भगवान शिव को दूध चढ़ाने पर स्टील के लोटे में न डालें, बल्कि इसके लिए ताम्बे के लोटे का इस्तेमाल करें। उनकी पूजा को बीच में आधा-अधूरा न छोड़ें और शिवलिंग पर चावल, दही, शहद या कोई भी वस्तु चढ़ाने के बाद जल चढ़ाना न भूलें।
ज्योतिष और वास्तु युक्तियां डॉ. आरती दहिया जी के साथ भगवान शिव की पूजा में सही दिशा
ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ डॉ. आरती दहिया जी से जानें कि भगवान शिव की पूजा में कौन-कौन सी गलतियों से बचना चाहिए।
शिवलिंग पूजा का महत्व तुलसी का प्रयोग और धार्य से न भूलें
शिवलिंग पूजा का महत्व और उसमें तुलसी का प्रयोग करने का तरीका जानें, ताकि पूजा सही रूप से हो।
व्रत का समापन भगवान शिव की कृपा और व्रत के सही तरीके का महत्व
शिव जी की पूजा और व्रत को सही रूप से करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और व्रत का समापन अद्भुत रूप से होता है।
शिवजी की पूजा करते समय क्या बोलना चाहिए?
शिवलिंग पूजा करते समय बोले जाने वाले मंत्र
1- ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय॥ॐ पार्वतीपतये नम:॥8 – ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाना चाहिए?
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शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाना चाहिए?सबसे पहले गणेश पूजा करें और इसके बाद शिवलिंग पर तांबे, चांदी या सोने के लोटे से जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय शिव जी के मंत्रों का जप करें। जल के साथ ही शिवलिंग पर दूध, दही, शहद भी चढ़ाना चाहिए। इस तरह अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चीजें अर्पित करें।
भोलेनाथ को जल्दी प्रसन्न कैसे करें?
प्रत्येक सोमवार शिव आराधना करने से शिव आपसे प्रसन्न होंगे। भगवान शिव का चंदन प्रिय होता है। स्नान के बाद उन्हें चंदन लगाएं और अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा, दूध और गंगाजल अर्पित करें। इस दिन भोलेनाथ का अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।
शिवजी की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?
कहते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए प्रात:काल 5 बजे का समय काफी उत्तम बताया गया है। सुबह 5 बजे से लेकर सुबह 11 बजे तक शिवलिंग पर जल चढ़ाया जा सकता है। वहीं शाम के वक्त शिवलिंग पर जल भूलकर भी अर्पित नहीं करें वरना आपको पूजा का फल नहीं मिलेगा।
Tulsi Vivah 2023/इस तरीके से करे तुलसी पूजा होगी खुसियो की वर्षा
हिन्दू पंचांग के अनुसार, 2023 में तुलसी विवाह का आयोजन शुक्रवार, 24 नवंबर को होगा। द्वादशी तिथि 23 नवंबर को शुरू होकर 24 नवंबर को 7:06 बजे शुरू होकर समाप्त होगी।