प्रस्तावना:
दीपावली, जिसे हम दिवाली के नाम से भी जानते हैं, हिन्दू समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल भारत और विशेषकर भारतीय विदेशी समुदायों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे “धनतेरस” या “नरक चतुर्दशी” के रूप में भी जाना जाता है, और यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का पर्व है।
नरक चतुर्दशी:
त्योहार की शुरुआत ‘नरक चतुर्दशी’ से होती है, जिसे हम ‘छोटी दीपावली’ भी कह सकते हैं। इस दिन, लोग अपने घरों को सजाकर उन्हें सजाग रखते हैं और खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में, नरकासुर की मूर्ति को जलाकर उसकी पुनर्निर्माण की कथा का समर्थन करते हैं।
कली चौदस:
दूसरे दिन, ‘कली चौदस’, कहलाता है, जिसे विशेष रूप से पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन, लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, और विभिन्न रंगों की रंगोली बनाते हैं, जिससे घर का माहौल उत्साह से भर जाता है। लोग विशेष रूप से लकड़ी के दीपों को बनाते हैं और उन्हें अपने घर के आस-पास जगह-जगह जलाते हैं।
दीपावली:
तीसरे और मुख्य दिन, ‘अमावस्या’, है, जिसे हम दीपावली कहते हैं। इस दिन, लोग अपने घरों को फूलों, रंगों, और लाइट्स से सजाते हैं। लकड़ी के दीपों को जलाना, घर को प्रकाशित करने के साथ-साथ, आत्मा की अंधकार से प्रकाश की ओर पहुँचने का सिम्बॉलिज्म रखता है। लोग माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जिसे धन और समृद्धि का सिम्बॉल माना जाता है।
पटाखे और उत्सव:
दीपावली का असली रौंग उसमें छुपा होता है, जब लोग अलग-अलग प्रकार के पटाखों को जलाते हैं और आकाश को रंग-बिरंगा बना देते हैं। इसे एक बड़े उत्सव के रूप में देखा जाता है, जिसमें लोग खुशियों के साथ एक-दूसरे को बधाईयाँ देते हैं और गिफ्ट्स आपस में आत्मीयों के बीच विनम्रता और साझेदारी का परिचय कराते हैं।
रंग-बिरंगा आकाश:
पटाखों का रंग-बिरंगा आकाश मन को आकर्षित करता है और लोगों में उत्साह और आनंद की भावना भर देता है। यह दृश्य देखकर लोग आपसी बॉन्डिंग का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताने का आनंद करते हैं।
गृहस्थ पूजा और आत्मीयों के साथीकृत्य:
दीपावली का दिन घर में पूजा और आराधना का होता है। लोग अपने घरों को सजाकर उन्हें आत्मीयों और मित्रों के साथ बांधकर पूजा अर्चना करते हैं और आपसी साथीकृत्य का आनंद लेते हैं।
सजीव विरासत:
दीपावली एक सजीव विरासत का हिस्सा है जिसमें सांस्कृतिक कला, संगीत, और नृत्य शामिल होते हैं। लोग अपनी विरासत को संजीवनी बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ इसे शेयर करते हैं और इसे बचाए रखने का प्रयास करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण:
दीपावली के दिन, लोग यह भी ध्यान रखते हैं कि वे पर्यावरण के साथ मेल-जोल बनाए रखते हैं और हानिकारक पटाखों का उपयोग नहीं करते हैं। यह एक सजीव और सांस्कृतिक त्योहार को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने की दिशा में एक कदम है।
आदर्श भरपूर भोज:
इस धार्मिक त्योहार के दिन, लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर आदर्श भरपूर भोज का आनंद लेते हैं, जिसमें परिवार और मित्रों के साथीकृत्य का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसमें आपसी समर्थन और समर्पण की भावना होती है।
समापन:
इस पारंपरिक और रौंगतरंगी त्योहार “दीपावली” के माध्यम से हम देखते हैं कि हमारा समृद्धि, समरसता, और सांस्कृतिक विरासत के साथ कैसे जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर आनंद लेते हैं और एक दूसरे के साथ आत्मीयता और साझेदारी की भावना को महत्वपूर्ण बनाए रखते हैं।
दीपावली के उत्सव में हम नरक चतुर्दशी से शुरुआत करते हैं, जिसमें हम अंधकार को प्रकाश में बदलने का संकल्प लेते हैं। फिर हम कली चौदस में अपने घरों को सजाते हैं और दीपों की रौशनी में आत्मा को शुभ आदित्य की ओर मोड़ते हैं। अंत में, दीपावली के मुख्य दिन, अमावस्या, पर हम आपसी समर्पण के साथ लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं और अपने घरों को रंगीनी दीपों और रंगों से सजाते हैं।
इसे एक बड़े पर्व के रूप में देखते हैं, जहां पटाखों की चमक, आकाश की रंगीनी, और गृहस्थों के बीच आत्मीयता का माहौल होता है। इस दिन को खुशियों, समृद्धि, और सजीवता के साथ भरा जाता है और हम प्राकृतिक सौंदर्य में भी आनंद लेते हैं।
दीपावली का संदेश है कि हमें अपनी पारंपरिक धरोहर को जीवंत रखना चाहिए और समृद्धि, सामंजस्य, और प्रेम के साथ जीने का आनंद लेना चाहिए। इसे एक अद्वितीय अनुभव के रूप में मनाने का समय है जब हम अपने दिलों में एक दूसरे के प्रति समर्पित होते हैं और सभी के बीच समृद्धि और शांति की भावना को बढ़ावा देते हैं।
- दीपावली हिन्दू समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।
- त्योहार की शुरुआत ‘नरक चतुर्दशी’ से होती है, जिसे ‘छोटी दीपावली’ भी कहा जाता है।
- नरक चतुर्दशी पर लोग अपने घरों को सजाकर नरकासुर की मूर्ति को जलाते हैं।
- दूसरे दिन, ‘कली चौदस’ मनाया जाता है, जिसमें लोग दीपों से अपने घरों को सजाते हैं और रंगोली बनाते हैं।
- तीसरे और मुख्य दिन, ‘अमावस्या’, है, जिसे हम दीपावली कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों को फूलों, रंगों, और दीपों से सजाते हैं।
- दीपावली में माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे धन और समृद्धि का सिम्बॉल माना जाता है।
- पटाखों के उत्सव में आकाश को रंग-बिरंगा बनाया जाता है और लोग आपसी बॉन्डिंग का आनंद लेते हैं।
- दीपावली के दिन घर में पूजा, आराधना और आत्मीयों के साथ साझेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
- लोग पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हैं और हानिकारक पटाखों का उपयोग नहीं करते हैं।
- दीपावली का संदेश है कि हमें अपनी पारंपरिक धरोहर को जीवंत रखना चाहिए और समृद्धि, सामंजस्य, और प्रेम के साथ जीने का आनंद लेना चाहिए।